Mutual Divorce कैसे लें? Simple Hindi Guide
Mutual Divorce यानी सहमति से तलाक एक क़ानूनी प्रक्रिया है जिसमें पति-पत्नी दोनों मिलकर आपसी सहमति से विवाह समाप्त करने का निर्णय लेते हैं। यदि दोनों पक्ष शांतिपूर्वक अलग होना चाहते हैं और किसी तरह का विवाद नहीं है, तो यह प्रक्रिया सरल, तेज और कम खर्चीली होती है।
Mutual Divorce के लिए आवश्यक शर्तें
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विवाह को कम से कम 1 वर्ष हो चुका हो।
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दोनों पक्ष तलाक़ के लिए सहमत हों।
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तलाक़ पर सहमति स्वेच्छा से होनी चाहिए, बिना किसी दबाव के।
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बच्चों की कस्टडी, गुज़ारा भत्ता, संपत्ति का बंटवारा आदि पर आपसी सहमति बनी हो।
Mutual Divorce की प्रक्रिया – Step by Step
Step 1: पहली याचिका (First Motion Petition)
पति-पत्नी मिलकर फैमिली कोर्ट में संयुक्त याचिका दायर करते हैं जिसमें बताया जाता है कि दोनों अब साथ नहीं रहना चाहते।
Step 2: कोर्ट द्वारा सुनवाई
कोर्ट दोनों पक्षों की बात सुनकर सहमति की पुष्टि करता है और अगली तारीख़ देता है।
Step 3: 6 महीने का कूलिंग पीरियड
यह एक वैधानिक समय होता है जिसमें दोनों पक्ष पुनर्विचार कर सकते हैं। आवश्यकता होने पर कोर्ट इसे माफ भी कर सकता है।
Step 4: दूसरी याचिका (Second Motion)
6 महीने बाद, यदि दोनों अभी भी तलाक़ के लिए सहमत हैं तो दूसरी याचिका दाखिल की जाती है।
Step 5: अंतिम निर्णय (Final Decree)
कोर्ट यदि संतुष्ट होता है, तो तलाक़ की मंजूरी देता है और वैवाहिक संबंध समाप्त हो जाते हैं।
Mutual Divorce में लगने वाला समय
इस पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर 6 महीने से 1 वर्ष तक का समय लग सकता है। यदि कोर्ट कूलिंग पीरियड माफ कर दे, तो प्रक्रिया और तेज़ हो सकती है।
Mutual Divorce के लाभ
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मुकदमेबाज़ी की ज़रूरत नहीं होती
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समय और धन की बचत होती है
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मानसिक तनाव कम होता है
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गरिमा और निजता बनी रहती है
ज़रूरी दस्तावेज़
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विवाह प्रमाणपत्र
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दोनों पक्षों के पहचान पत्र
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निवास प्रमाणपत्र
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पासपोर्ट साइज फ़ोटोग्राफ
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आपसी समझौते का दस्तावेज़ (Settlement Agreement)
निष्कर्ष
यदि पति-पत्नी के बीच आपसी सहमति है और सभी शर्तों पर समझ बनी है, तो Mutual Divorce लेना एक सहज और सम्मानजनक विकल्प होता है। यह प्रक्रिया क़ानूनी रूप से वैध है और भविष्य में किसी तरह के विवाद से भी बचाती है।
